tag:blogger.com,1999:blog-6119166755308328750.post9080543837730684434..comments2024-03-08T02:26:54.633-08:00Comments on જિપ્સીની ડાયરી: વિસામો: મધુવન (૨)Capt. Narendrahttp://www.blogger.com/profile/16056765186542285536noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6119166755308328750.post-57206602788243876932011-10-04T07:56:43.204-07:002011-10-04T07:56:43.204-07:00@ પ્રજ્ઞા જુ:
આપના પ્રતિભાવમાં જ્યુથીકાબહેનનાં જીવ...@ પ્રજ્ઞા જુ:<br />આપના પ્રતિભાવમાં જ્યુથીકાબહેનનાં જીવનના વિવિધ પાસાઓ વિશે જે માહિતી આપી તે વાંચી આપ તથા જયુથીકાજી બન્ને પ્રત્યે આદરથી નતમસ્તક થઇ ગયો. આપનો અાભાર શબ્દોમાં માની શકું નહિ, પણ આપે જણાવેલું ભજન મૂળ બ્લૉગમાં મૂકું છું. પ્રતિભાવમાં તે પ્રકાશિત ન થઇ શક્યું. આપનો ફરી એ વાર આભાર.Capt. Narendrahttps://www.blogger.com/profile/16056765186542285536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6119166755308328750.post-67023503968731805002011-10-04T05:59:12.389-07:002011-10-04T05:59:12.389-07:00अ द भू त वाते ...
प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी ...अ द भू त वाते ...<br />प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी जुथिका के गायन को पसंद करते थे. उन्होंने एक बार जुथिका रॉय को अपने सरकारी आवास पर बुलाया और उनसे भजन और गीत सुने. " नेहरूजी चप्पल खोल कर जमीन पर बैठे. उन्होंने अपनी टोपी उतार के रख दी और दो घंटे तक मेरा गान सुनते रहे.<br /><br />सन 1920 में हावड़ा जिले के आमता गाँव में जन्मी जुथिका रॉय ने 356 से अधिक गीत गाये. इनमें से 214 हिंदी में, जिनमें अधिकतर भजन थे, 133 गीत बांग्ला में और दो तमिल में गाये. हिंदी के भक्ति गीतों में कुछ इस्लामिक नातें भी हैं तो कुछ होली और वर्षा गीत हैं. उन्होंने दो हिंदी फिल्मों – ‘रत्नदीप’ और ‘ललकार’ - में चार गीत गाये. जुथिका रॉय ने बावजूद बड़े आफर के फिल्मों में गीत नहीं गाये. ये दो अपवाद इसलिए हुए कि 'रत्नदीप' के लिए वे जाने माने निर्देशक देवकी बोस को ना नहीं कर सकी जिन्होंने कहा कि उन पर कोइन बंदिश नहीं होगी और वे अपनी पसंद से गायेंगी. दूसरी फिल्म 'ललकार' के निर्माता गीतकार पंडित मधुर थे. जुथिका रॉय ने मीरां के के अलावा जो गीत गाये वे अधिकतर पंडित मधुर के ही लिखे हुए थे इसलिए वह उन्हें भी इनकार नहीं कर सकी.<br /><br />जुथिका रॉय का परिवार रामकृष्ण मिशन से जुड़ा हुआ था. जुथिका और उनकी दो अन्य बहनों ने 12 बरस का ब्रह्मचर्य का व्रत लिया. बहनों ने 12 वर्ष व्रत निभा कर बाद में शादी कर ली मगर जुथिका रॉय ने यह व्रत आजीवन के लिए अपना लिया. उनके गानों को संगीतबद्ध अधिकतर बंगाल के प्रमुख संगीतकार कमल दासगुप्ता ने किया. वे जुथिका जी से विवाह करना चाहते थे मगर इसी व्रत के कारण यह विवाह नहीं हो सका.<br /><br />सन 1939 में उनके गाये मीरां और कबीर के भजनों ने जो जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की वह आज भी बरकरार है. इसी साल उन्होंने पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन मुंबई में दिया और तब से उन्होंने कभी पीछे मुड कर नहीं देखा. 1972 में उन्हें पद्मश्री का अलंकरण दिया गया. सन 2002 में जुथिका रॉय की बांग्ला में आत्मकथा "आज ओ मोने पड़े" का प्रकाशन हुआ. इसी का गुजराती संस्करण "चुपके चुपके बोल मैना' का प्रकाशन 2008 में हुआ.<br /><br />(यह आलेख जनसत्ता के 2 मई के रविवारी परिशिष्ट में छपा) <br />अब जुथिका रॉय की आवाज़ में सुनें एक भजन जिसे उन्होंने बापू को भी सुनाया था उस मुलाकात में।<br /><br />भजन: घूंघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे (जुथिका रॉय, ग़ैर-फ़िल्मी)<br /><br /><br /> जुथिका रॉय को ढेरों शुभकामनाएँ देते हुए और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ...<br />પ્રજ્ઞાજુAnonymousnoreply@blogger.com